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मंसूर उस्मानी शायरी | शाही शायरी

मंसूर उस्मानी शेर

14 शेर

आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए

मंसूर उस्मानी




अपनी तारीफ़ सुनी है तो ये सच भी सुन ले
तुझ से अच्छा तिरा किरदार नहीं हो सकता

मंसूर उस्मानी




हालात क्या ये तेरे बिछड़ने से हो गए
लगता है जैसे हम किसी मेले में खो गए

मंसूर उस्मानी




हम ने कुछ गीत लिखे हैं जो सुनाना हैं तुम्हें
तुम कभी बज़्म सजाना तो ख़बर कर देना

मंसूर उस्मानी




इस शहर में चलती है हवा और तरह की
जुर्म और तरह के हैं सज़ा और तरह की

मंसूर उस्मानी




जिस को बचाए रखने में अज्दाद बिक गए
हम ने उसी हवेली को नीलाम कर दिया

मंसूर उस्मानी




जो फाँस चुभ रही है दिलों में वो तू निकाल
जो पाँव में चुभी थी उसे हम निकाल आए

मंसूर उस्मानी




ख़ुदा के नाम पे क्या क्या फ़रेब देते हैं
ज़माना-साज़ ये रहबर भी मैं भी दुनिया भी

मंसूर उस्मानी




ख़ुशबू का क़ाफ़िला ये बहारों का सिलसिला
पहुँचा है शहर तक तो मिरे घर भी आएगा

मंसूर उस्मानी