जज़्बों को ज़बान दे रहा हूँ
मैं वक़्त को दान दे रहा हूँ
माज़िद सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कौन अपना है इक ख़ुदा वो भी
रहने वाला है आसमानों का
माज़िद सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मिला है तख़्त किसे कौन तख़्त पर न रहा
ये बात और है जारी था जो सफ़र न रहा
माज़िद सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
सामने उस यार के भी और सर-ए-दरबार भी
एक ये दिल था जिसे हर बार ख़ूँ करना पड़ा
माज़िद सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
तोहमत सी लिए फिरते हैं सदियों से सर अपने
रुस्वा है बहुत नाम यहाँ अहल-ए-हुनर का
माज़िद सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ये सफ़र अपना कहीं जानिब-ए-महशर ही न हो
हम लिए किस का जनाज़ा हैं ये घर से निकले
माज़िद सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |