अब घर के दरीचे में आएगी हवा कैसे
आगे भी प्लाज़ा है पीछे भी प्लाज़ा है
खालिद इरफ़ान
भूक तख़्लीक़ का टैलेंट बढ़ा देती है
पेट ख़ाली हो तो हम शेर नया कहते हैं
खालिद इरफ़ान
दो चार दिन से मेरी समाअत ब्लाक थी
तुम ने ग़ज़ल पढ़ी तो मिरा कान खुल गया
खालिद इरफ़ान
जो लुग़त को तोड़-मरोड़ दे जो ग़ज़ल को नस्र से जोड़ दे
मैं वो बद-मज़ाक़-ए-सुख़न नहीं वो जदीदिया कोई और है
खालिद इरफ़ान
जो तुम परफ़्यूम में डुबकी लगा कर रोज़ आती हो
फ़ज़ा तुम से मोअत्तर है हवा में कुछ नहीं रक्खा
खालिद इरफ़ान
कैसा अजीब आया है इस साल का बजट
मुर्ग़ी का जो बजट है वही दाल का बजट
खालिद इरफ़ान
मैं ने बस इतना ही लिखा आई-लौ-यू और फिर
उस ने आगे कर दिया था गाल इंटरनेट पर
खालिद इरफ़ान
न हों पैसे तो इस्तक़बालियों से कुछ नहीं होगा
किसी शायर को ख़ाली तालियों से कुछ नहीं होगा
खालिद इरफ़ान