बात होती है पस-ए-चकवाल इंटरनेट पर 
'नाज़िया' सुलझा रही है बाल इंटरनेट पर 
सास हैं आमादा-ए-दस्त-ओ-गरेबाँ इन दिनों 
ग़ीबतें मिन-जानिब-ए-ससुराल इंटरनेट पर 
आज बद-बख़्ती से जिस ख़ुश-बख़्त का शौहर हूँ मैं 
इस को ख़त लिक्खा था पिछले साल इंटरनेट पर 
मैं ने बस इतना ही लिखा आई-लौ-यू और फिर 
उस ने आगे कर दिया था गाल इंटरनेट पर 
अब हमारे शेर सुनने पर कोई राज़ी नहीं 
मिल गए जिस रोज़ से क़व्वाल इंटरनेट पर 
शुक्रिया ईमेल के उस्ताद तेरा शुक्रिया 
बन गई वो शाएरा इस साल इंटरनेट पर 
ख़ालिद-ए-इरफ़ान तेरी क्या ज़रूरत है कि जब 
'मीर' इंटरनेट पर 'इक़बाल' इंटरनेट पर
        ग़ज़ल
बात होती है पस-ए-चकवाल इंटरनेट पर
खालिद इरफ़ान

