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ख़ालिद इबादी शायरी | शाही शायरी

ख़ालिद इबादी शेर

8 शेर

अभी मरने की जल्दी है 'इबादी'
अगर ज़िंदा रहे तो फिर मिलेंगे

ख़ालिद इबादी




हमारे हाथ काटे जा रहे थे
तुम्हारे हाथ से किरपान ले कर

ख़ालिद इबादी




कभी कभी चुप हो जाने की ख़्वाहिश होती है
ऐसे में जब तीर-ए-सितम की बारिश होती है

ख़ालिद इबादी




मैं ज़ख़्म ज़ख़्म नहीं हूँ मगर मसीहाई
मिरे बदन में मिरी जान क्यूँ नहीं रखती

ख़ालिद इबादी




शहर का भी दस्तूर वही जंगल वाला
खोजने वाले ही अक्सर खो जाते हैं

ख़ालिद इबादी




ये कैसा तनाज़ा है कि फ़ैसल नहीं होता
हक़ तेरा ज़ियादा है कि हुक्काम का तेरे

ख़ालिद इबादी




ज़रा सा दर्द और इतनी दवाएँ
पसंद आई नहीं चारागरी तक

ख़ालिद इबादी




ज़रा ठहरो उसे आने दो उस की बात भी सुन लें
हमें जो इल्म है गो दिल को दहलाने ही वाला है

ख़ालिद इबादी