बोझ दिल पर है नदामत का तो ऐसा कर लो
मेरे सीने से किसी और बहाने लग जाओ
कौसर मज़हरी
चाँद है पानी में या भूले हुए चेहरे का अक्स
साहिल-ए-दरिया पे देखो मैं भी हैरानी में हूँ
कौसर मज़हरी
एक मुद्दत से ख़मोशी का है पहरा हर-सू
जाने किस ओर गए शोर मचाने वाले
कौसर मज़हरी
गिरा था बोझ कोई सर से मेरे
उसी को फिर उठाना चाहता हूँ
कौसर मज़हरी
जाने किस ख़्वाब-ए-परेशाँ का है चक्कर सारा
बिखरा बिखरा हुआ रहता है मिरा घर सारा
कौसर मज़हरी
कौन सी दुनिया में हूँ किस की निगहबानी में हूँ
ज़िंदगी है सख़्त मुश्किल फिर भी आसानी में हूँ
कौसर मज़हरी
मैं सब के वास्ते अच्छा था लेकिन
उसी के वास्ते अच्छा नहीं था
कौसर मज़हरी
मौसम-ए-दिल जो कभी ज़र्द सा होने लग जाए
अपना दिल ख़ून करो फूल उगाने लग जाओ
कौसर मज़हरी
नज़र झुक रही है ख़मोशी है लब पर
हया है अदा है कि अन-बन है क्या है
कौसर मज़हरी