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जुनैद अख़्तर शायरी | शाही शायरी

जुनैद अख़्तर शेर

8 शेर

अक्स-ए-ख़याल-ए-यार सँवारा करेंगे हम
शीशे में आइने को उतारा करेंगे हम

जुनैद अख़्तर




मैं भला हाथ दुआओं को उठाता कैसे
उस ने छोड़ी ही नहीं कोई ज़रूरत बाक़ी

जुनैद अख़्तर




राह-ए-तलब में दाम-ओ-दिरम छोड़ जाएँगे
लिख लो हमारे शेर बड़े काम आएँगे

जुनैद अख़्तर




रखते हैं मोहब्बत को तग़ाफ़ुल में छुपा कर
पर्वा ही तो करते हैं जो पर्वा नहीं करते

जुनैद अख़्तर




सारे तो नहीं जान बचाने में लगे हैं
कुछ घाव हमें ज़ख़्म लगाने में लगे हैं

जुनैद अख़्तर




तुम को सोते में भी कब आँख उठा कर देखा
हम ने ख़्वाबों में भी आँखों की निगह-दारी की

जुनैद अख़्तर




वो तो बस झूटी तसल्ली को कहा था तुम से
हम तो अपने भी नहीं, ख़ाक तुम्हारे होते

जुनैद अख़्तर




यक़ीं ख़ुद उठ गया है मुझ से मेरा
मिरी इतनी तरफ़-दारी हुई है

जुनैद अख़्तर