अब मिरा ध्यान कहीं और चला जाता है
अब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती
जव्वाद शैख़
अगर वो करने पे आता तो कुछ भी कर जाता
ये सोच मत कि अकेला शरार क्या करता
जव्वाद शैख़
अपनी ताईद पे ख़ुद अक़्ल भी हैरान हुई
दिल ने ऐसे मिरे ख़्वाबों की हिमायत की है
जव्वाद शैख़
हम भी कैसे एक ही शख़्स के हो कर रह जाएँ
वो भी सिर्फ़ हमारा कैसे हो सकता है
जव्वाद शैख़
कैसे किसी की याद हमें ज़िंदा रखती है??
एक ख़याल सहारा कैसे हो सकता है
जव्वाद शैख़
कर कुछ ऐसा कि तुझे याद रखूँ
भूल जाने का तक़ाज़ा ही सही
जव्वाद शैख़
क्या है जो हो गया हूँ मैं थोड़ा बहुत ख़राब
थोड़ा बहुत ख़राब तो होना भी चाहिए
जव्वाद शैख़
लग रहा है ये नर्म लहजे से
फिर तुझे कोई मसअला हुआ है
जव्वाद शैख़
मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ
मुझे किसी पे भी अब कोई ए'तिबार नहीं
जव्वाद शैख़