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उस ने कोई तो दम पढ़ा हुआ है | शाही शायरी
usne koi to dam paDha hua hai

ग़ज़ल

उस ने कोई तो दम पढ़ा हुआ है

जव्वाद शैख़

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उस ने कोई तो दम पढ़ा हुआ है
जिस ने देखा वो मुब्तला हुआ है

अब तिरे रास्ते से बच निकलूँ
इक यही रास्ता बचा हुआ है

आओ तक़रीब-ए-रू-नुमाई करें
पाँव में एक आबला हुआ है

फिर वही बहस छेड़ देते हो
इतनी मुश्किल से राब्ता हुआ है

रात की वारदात मत पूछो
वाक़ई एक वाक़िआ हुआ है

लग रहा है ये नर्म लहजे से
फिर तुझे कोई मसअला हुआ है

मैं कहाँ और वो फ़सील कहाँ
फ़ासले का ही फ़ैसला हुआ है

इतना मसरूफ़ हो गया हूँ कि बस
'मीर' भी इक तरफ़ पड़ा हुआ है

आज कुछ भी नहीं हुआ 'जव्वाद'
हाँ मगर एक सानेहा हुआ है