इक साया शरमाता लजाता राह में तन्हा छोड़ गया
मैं परछाईं ढूँड रहा हूँ टूटी हुई दीवारों पर
इशरत क़ादरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
इन अंधेरों से परे इस शब-ए-ग़म से आगे
इक नई सुब्ह भी है शाम-ए-अलम से आगे
इशरत क़ादरी
टैग:
| प्रेरक |
| 2 लाइन शायरी |
कौन देखेगा मुझ में अब चेहरा
आईना था बिखर गया हूँ मैं
इशरत क़ादरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वो तेरे बिछड़ने का समाँ याद जब आया
बीते हुए लम्हों को सिसकते हुए देखा
इशरत क़ादरी
टैग:
| Judai |
| 2 लाइन शायरी |
यूँ ज़िंदगी गुज़र रही है मेरी
जो उन की है वही ख़ुशी है मेरी
इशरत क़ादरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़ाहिरी शक्ल मेरी ज़िंदा है
और अंदर से मर गया हूँ मैं
इशरत क़ादरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |