अजब तनाव है माहौल में कहें किस से 
कहीं पे आज कोई हादसा हुआ तो नहीं
इफ़्तिख़ार आज़मी
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                हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज़ है अब 
फूल ख़ुश्बू से ख़फ़ा हो जैसे
इफ़्तिख़ार आज़मी
कितना सुनसान है रस्ता दिल का 
क़ाफ़िला कोई लुटा हो जैसे
इफ़्तिख़ार आज़मी
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                शोर-ए-दरिया-ए-वफ़ा इशरत-ए-साहिल के क़रीब 
रुक गए अपने क़दम आए जो मंज़िल के क़रीब
इफ़्तिख़ार आज़मी
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