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अक़ील अब्बास जाफ़री शायरी | शाही शायरी

अक़ील अब्बास जाफ़री शेर

2 शेर

बस वही अश्क मिरा हासिल-ए-गिर्या है 'अक़ील'
जो मिरे दीदा-ए-नमनाक से बाहर है अभी

अक़ील अब्बास जाफ़री




हर इश्क़ के मंज़र में था इक हिज्र का मंज़र
इक वस्ल का मंज़र किसी मंज़र में नहीं था

अक़ील अब्बास जाफ़री