वो फिर वादा मिलने का करते हैं यानी
अभी कुछ दिनों हम को जीना पड़ेगा
आसी ग़ाज़ीपुरी
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बाँध कर अहद-ए-वफ़ा कोई गया है मुझ से
ऐ मिरी उम्र-ए-रवाँ और ज़रा आहिस्ता
अदीब सहारनपुरी
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वा'दा किया है ग़ैर से और वो भी वस्ल का
कुल्ली करो हुज़ूर हुआ है दहन ख़राब
अहमद हुसैन माइल
इन वफ़ादारी के वादों को इलाही क्या हुआ
वो वफ़ाएँ करने वाले बेवफ़ा क्यूँ हो गए
अख़्तर शीरानी
किया है आने का वादा तो उस ने
मेरे परवरदिगार आए न आए
अख़्तर शीरानी
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मुझे है ए'तिबार-ए-वादा लेकिन
तुम्हें ख़ुद ए'तिबार आए न आए
अख़्तर शीरानी
वो उन का व'अदा वो ईफ़ा-ए-अहद का आलम
कि याद भी नहीं आता है भूलता भी नहीं
आलम मुज़फ्फ़र नगरी
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