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वाडा शायरी | शाही शायरी

वाडा

50 शेर

और कुछ देर सितारो ठहरो
उस का व'अदा है ज़रूर आएगा

एहसान दानिश




तिरे वा'दों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए

फ़ना निज़ामी कानपुरी




न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था

no promise,surety, nor any hope was due
yet I had little choice but to wait for you

फ़िराक़ गोरखपुरी




आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए'तिबार किया

गुलज़ार




किस मुँह से कह रहे हो हमें कुछ ग़रज़ नहीं
किस मुँह से तुम ने व'अदा किया था निबाह का

हफ़ीज़ जालंधरी




अब तो कर डालिए वफ़ा उस को
वो जो वादा उधार रहता है

इब्न-ए-मुफ़्ती




बस एक बार ही तोड़ा जहाँ ने अहद-ए-वफ़ा
किसी से हम ने फिर अहद-ए-वफ़ा किया ही नहीं

इब्राहीम अश्क