हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा
जुड़ते हैं इसी मय से दरके हुए पैमाने
आरज़ू लखनवी
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फिर चाहे तो न आना ओ आन बान वाले
झूटा ही वअ'दा कर ले सच्ची ज़बान वाले
आरज़ू लखनवी
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देखिए अहद-ए-वफ़ा अच्छा नहीं
मरना जीना साथ का हो जाएगा
असद भोपाली
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भूलने वाले को शायद याद वादा आ गया
मुझ को देखा मुस्कुराया ख़ुद-ब-ख़ुद शरमा गया
असर लखनवी
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झूटे वादों पर थी अपनी ज़िंदगी
अब तो वो भी आसरा जाता रहा
अज़ीज़ लखनवी
तुझ को देखा तिरे वादे देखे
ऊँची दीवार के लम्बे साए
बाक़ी सिद्दीक़ी
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सवाल-ए-वस्ल पर कुछ सोच कर उस ने कहा मुझ से
अभी वादा तो कर सकते नहीं हैं हम मगर देखो
बेख़ुद देहलवी