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वाडा शायरी | शाही शायरी

वाडा

50 शेर

हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा
जुड़ते हैं इसी मय से दरके हुए पैमाने

आरज़ू लखनवी




फिर चाहे तो न आना ओ आन बान वाले
झूटा ही वअ'दा कर ले सच्ची ज़बान वाले

आरज़ू लखनवी




देखिए अहद-ए-वफ़ा अच्छा नहीं
मरना जीना साथ का हो जाएगा

असद भोपाली




भूलने वाले को शायद याद वादा आ गया
मुझ को देखा मुस्कुराया ख़ुद-ब-ख़ुद शरमा गया

असर लखनवी




झूटे वादों पर थी अपनी ज़िंदगी
अब तो वो भी आसरा जाता रहा

अज़ीज़ लखनवी




तुझ को देखा तिरे वादे देखे
ऊँची दीवार के लम्बे साए

बाक़ी सिद्दीक़ी




सवाल-ए-वस्ल पर कुछ सोच कर उस ने कहा मुझ से
अभी वादा तो कर सकते नहीं हैं हम मगर देखो

बेख़ुद देहलवी