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Tauba शायरी | शाही शायरी

Tauba

16 शेर

आप के होते किसी और को चाहूँ तौबा
किस तरफ़ ध्यान है क्या आप ये फ़रमाते हैं

लाला माधव राम जौहर




शिकस्त-ए-तौबा की तम्हीद है तिरी तौबा
ज़बाँ पे तौबा 'मुबारक' निगाह साग़र पर

मुबारक अज़ीमाबादी




तौबा की रिंदों में गुंजाइश कहाँ
जब ये आएगी निकाली जाएगी

मुबारक अज़ीमाबादी




इतनी पी है कि ब'अद-ए-तौबा भी
बे-पिए बे-ख़ुदी सी रहती है

रियाज़ ख़ैराबादी




जाम है तौबा-शिकन तौबा मिरी जाम-शिकन
सामने ढेर हैं टूटे हुए पैमानों के

रियाज़ ख़ैराबादी




उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा

साहिर लुधियानवी




हाए 'सीमाब' उस की मजबूरी
जिस ने की हो शबाब में तौबा

सीमाब अकबराबादी