पए-गुल-गश्त सुना है कि वो आज आते हैं
फूलों की भी ये ख़ुशी है कि खिले जाते हैं
बहर-ए-तस्कीन-ए-दिल अहबाब ये फ़रमाते हैं
आप कहिए तो अभी जा के बुला लाते हैं
गुदगुदी कर के हँसाते हैं जो ग़श में अहबाब
किस के रूमाल से तलवे मिरे सहलाते हैं
आप के होते किसी और को चाहूँ तौबा
किस तरफ़ ध्यान है क्या आप ये फ़रमाते हैं
मेरी ही जान के दुश्मन हैं नसीहत वाले
मुझ को समझाते हैं उन को नहीं समझाते हैं
बुलबुलो बाग़ में ग़ाफ़िल न कहीं हो जाना
हर तरफ़ घात में सय्याद नज़र आते हैं
ख़ूब पहचान लिया हम ने तुम्हें दिल दे कर
सच कहा है कि जो खोते हैं वही पाते हैं
मुझ को बावर नहीं सच सच ये बता दे हमदम
तू ने किस से ये सुना है कि वो आज आते हैं
क्या दिल ओ दीदा भी हरकारे हैं सुब्हान-अल्लाह
लाख पर्दों में कोई हो ये ख़बर लाते हैं
देख अच्छा नहीं 'जौहर' कहीं माइल होना
जब भी समझाते थे अब भी तुझे समझाते हैं
ग़ज़ल
पए-गुल-गश्त सुना है कि वो आज आते हैं
लाला माधव राम जौहर