ग़ज़ल का शेर तो होता है बस किसी के लिए
मगर सितम है कि सब को सुनाना पड़ता है
अज़हर इनायती
हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में
अजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता
बशीर बद्र
मेरा हर शेर है इक राज़-ए-हक़ीक़त 'बेख़ुद'
मैं हूँ उर्दू का 'नज़ीरी' मुझे तू क्या समझा
बेख़ुद देहलवी
इस को समझो न ख़त्त-ए-नफ़्स 'हफ़ीज़'
और ही कुछ है शाएरी से ग़रज़
हफ़ीज़ जौनपुरी
बंदिश-ए-अल्फ़ाज़ जड़ने से निगूँ के कम नहीं
शाएरी भी काम है 'आतिश' मुरस्सा-साज़ का
हैदर अली आतिश
है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी
इक तुर्फ़ा तमाशा है 'हसरत' की तबीअत भी
हसरत मोहानी
शेर दर-अस्ल हैं वही 'हसरत'
सुनते ही दिल में जो उतर जाएँ
हसरत मोहानी