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Rukhsar शायरी | शाही शायरी

Rukhsar

17 शेर

आरिज़ों पर ये ढलकते हुए आँसू तौबा
हम ने शोलों पे मचलती हुई शबनम देखी

lord forbid that tears on your cheeks do flow
like dewdrops agonizing on embers all aglow

जोश मलसियानी




उस के रुख़्सार देख जीता हूँ
आरज़ी मेरी ज़िंदगानी है

नाजी शाकिर




पूछो न अरक़ रुख़्सारों से रंगीनी-ए-हुस्न को बढ़ने दो
सुनते हैं कि शबनम के क़तरे फूलों को निखारा करते हैं

wipe not the droplets from your face, let beauty's lustre grow
drops of dew when flowers grace, enhance their freshness so

क़मर जलालवी




अब मैं समझा तिरे रुख़्सार पे तिल का मतलब
दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है

The import of this spot upon your face I now detect
The treasure of your beauty does this sentinel protect

क़मर मुरादाबादी




उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा

साहिर लुधियानवी




रुख़्सार के अरक़ का तिरे भाव देख कर
पानी के मोल निर्ख़ हुआ है गुलाब का

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




तिरे रुख़्सार से बे-तरह लिपटी जाए है ज़ालिम
जो कुछ कहिए तो बल खा उलझती है ज़ुल्फ़ बे-ढंगी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम