दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए
enmity however strong, the contact never break
hearts and minds may be apart, the hands must ever shake
निदा फ़ाज़ली
भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो
कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे
रज़ा हमदानी
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
साहिर लुधियानवी
मज़रा-ए-दुनिया में दाना है तो डर कर हाथ डाल
एक दिन देना है तुझ को दाने दाने का हिसाब
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ऐ 'ज़ौक़' तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर
आराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता
save trouble, in formality, zauq nothing else can be
at ease he then remains he who, eschews formality
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़