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Mashwara शायरी | शाही शायरी

Mashwara

33 शेर

ख़ुदा ने नेक सूरत दी तो सीखो नेक बातें भी
बुरे होते हो अच्छे हो के ये क्या बद-ज़बानी है

अमीर मीनाई




कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा

अमजद इस्लाम अमजद




देख रह जाए न तू ख़्वाहिश के गुम्बद में असीर
घर बनाता है तो सब से पहले दरवाज़ा लगा

अर्श सिद्दीक़ी




हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच
डूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा

अर्श सिद्दीक़ी




तिरे माथे पे ये आँचल तो बहुत ही ख़ूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था

असरार-उल-हक़ मजाज़




पैदा वो बात कर कि तुझे रोएँ दूसरे
रोना ख़ुद अपने हाल पे ये ज़ार ज़ार क्या

create that aspect in yourself that others cry for thee

अज़ीज़ लखनवी


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इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल
दुनिया है चल-चलाव का रस्ता सँभल के चल

बहादुर शाह ज़फ़र