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Maikada शायरी | शाही शायरी

Maikada

41 शेर

कोई दिन आगे भी ज़ाहिद अजब ज़माना था
हर इक मोहल्ले की मस्जिद शराब-ख़ाना था

क़ाएम चाँदपुरी




मय-ख़ाने में क्यूँ याद-ए-ख़ुदा होती है अक्सर
मस्जिद में तो ज़िक्र-ए-मय-ओ-मीना नहीं होता

रियाज़ ख़ैराबादी




मय-ख़ाने में मज़ार हमारा अगर बना
दुनिया यही कहेगी कि जन्नत में घर बना

रियाज़ ख़ैराबादी




शैख़ उस की चश्म के गोशे से गोशे हो कहीं
उस तरफ़ मत जाओ नादाँ राह मय-ख़ाने की है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




दुख़्त-ए-रज़ और तू कहाँ मिलती
खींच लाए शराब-ख़ाने से

शरफ़ मुजद्दिदी




'ज़ौक़' जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला
उन को मय-ख़ाने में ले आओ सँवर जाएँगे

शेख़ इब्राहीम ज़ौक़