EN اردو
इज़हार शायरी | शाही शायरी

इज़हार

20 शेर

पुर्सिश-ए-हाल भी इतनी कि मैं कुछ कह न सकूँ
इस तकल्लुफ़ से करम हो तो सितम होता है

कमाल अहमद सिद्दीक़ी




ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं

ख़ुमार बाराबंकवी




हाल-ए-दिल सुनते नहीं ये कह के ख़ुश कर देते हैं
फिर कभी फ़ुर्सत में सुन लेंगे कहानी आप की

लाला माधव राम जौहर




हाल-ए-दिल यार को महफ़िल में सुनाएँ क्यूँ-कर
मुद्दई कान इधर और उधर रखते हैं

लाला माधव राम जौहर




साफ़ बता दे जो तू ने देखा है दिन रात
दुनिया के डर से न रख दिल में दिल की बात

मख़मूर सईदी




और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी
हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं

सलीम कौसर