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रोना वही जो ख़ौफ़-ए-इलाही से रोइए | शाही शायरी
rona wahi jo KHauf-e-ilahi se roiye

ग़ज़ल

रोना वही जो ख़ौफ़-ए-इलाही से रोइए

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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रोना वही जो ख़ौफ़-ए-इलाही से रोइए
सोना वही जो उस के तसव्वुर में सोइए

कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ
धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए

दहक़ाँ की तरह दाना ज़मीन में न बो अबस
बौना वही जो तुख़्म-ए-अमल दिल में बोइए

खोया गया है शैख़ क़यामत के वहम में
खोना वही कि आप को आप ही में खोइए

'हातिम' तू गो कि ख़ाक हुआ कीमिया कहाँ
होना वही जो ख़ाक से इक्सीर होइए