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दर्द शायरी | शाही शायरी

दर्द

100 शेर

मेरा कर्ब मिरी तन्हाई की ज़ीनत
मैं चेहरों के जंगल का सन्नाटा हूँ

अम्बर बहराईची




करता मैं दर्दमंद तबीबों से क्या रुजूअ
जिस ने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम था

for my pain how could I seek, from doctors remedy
the one who caused this ache, a healer great was he

अमीर मीनाई




नावक-ए-नाज़ से मुश्किल है बचाना दिल का
दर्द उठ उठ के बताता है ठिकाना दिल का

अमीर मीनाई




पहलू में मेरे दिल को न ऐ दर्द कर तलाश
मुद्दत हुई ग़रीब वतन से निकल गया

अमीर मीनाई




दिल पर चोट पड़ी है तब तो आह लबों तक आई है
यूँ ही छन से बोल उठना तो शीशे का दस्तूर नहीं

अंदलीब शादानी




दर्द मेराज को पहुँचता है
जब कोई तर्जुमाँ नहीं मिलता

अर्श मलसियानी




उल्फ़त के बदले उन से मिला दर्द-ए-ला-इलाज
इतना बढ़े है दर्द मैं जितनी दवा करूँ

असर अकबराबादी