कारवाँ से कुछ इस तरह बिछड़े
अब कहीं कारवाँ नहीं मिलता
दर्द मेराज को पहुँचता है
जब कोई तर्जुमाँ नहीं मिलता
रहबरों की हुई वो अरज़ाई
रह-रवों का निशाँ नहीं मिलता
बे-ज़बाँ हो गए ज़बाँ वाले
अब कोई हम-ज़बाँ नहीं मिलता
'अर्श' किस से कहूँ मैं दिल का राज़
राज़ है राज़-दाँ नहीं मिलता
ग़ज़ल
कारवाँ से कुछ इस तरह बिछड़े
अर्श मलसियानी