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चेहरा शायरी | शाही शायरी

चेहरा

25 शेर

चाँदनी रातों में चिल्लाता फिरा
चाँद सी जिस ने वो सूरत देख ली

रिन्द लखनवी




कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायद
आईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं

शकेब जलाली




रहता था सामने तिरा चेहरा खुला हुआ
पढ़ता था मैं किताब यही हर क्लास में

शकेब जलाली




मलूँ हों ख़ाक जूँ आईना मुँह पर
तिरी सूरत मुझे आती है जब याद

ताबाँ अब्दुल हई