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चेहरा शायरी | शाही शायरी

चेहरा

25 शेर

हम किसी बहरूपिए को जान लें मुश्किल नहीं
उस को क्या पहचानिये जिस का कोई चेहरा न हो

हकीम मंज़ूर




तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत
हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं

इमाम बख़्श नासिख़




क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है

जौन एलिया




तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है

कैफ़ भोपाली




मैं तो 'मुनीर' आईने में ख़ुद को तक कर हैरान हुआ
ये चेहरा कुछ और तरह था पहले किसी ज़माने में

मुनीर नियाज़ी




भुला दीं हम ने किताबें कि उस परी-रू के
किताबी चेहरे के आगे किताब है क्या चीज़

नज़ीर अकबराबादी




वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता

निदा फ़ाज़ली