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चांद शायरी | शाही शायरी

चांद

29 शेर

आसमान और ज़मीं का है तफ़ावुत हर-चंद
ऐ सनम दूर ही से चाँद सा मुखड़ा दिखला

हैदर अली आतिश




कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा

T'was a full moon out last night, all evening there was talk of you
Some people said it was the moon,and some said that it was you

इब्न-ए-इंशा




वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो

इब्न-ए-इंशा




चाँद का हुस्न भी ज़मीन से है
चाँद पर चाँदनी नहीं होती

इब्न-ए-सफ़ी




उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा

इफ़्तिख़ार नसीम




चाँद ख़ामोश जा रहा था कहीं
हम ने भी उस से कोई बात न की

महमूद अयाज़




लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो
इक चाँद बग़ल में हो इक चाँद मुक़ाबिल हो

मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस