उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं
बशीर बद्र
उस की आँखों को ग़ौर से देखो
मंदिरों में चराग़ जलते हैं
बशीर बद्र
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असर न पूछिए साक़ी की मस्त आँखों का
ये देखिए कि कोई होश्यार बाक़ी है
बेताब अज़ीमाबादी
आ जाए न दिल आप का भी और किसी पर
देखो मिरी जाँ आँख लड़ाना नहीं अच्छा
भारतेंदु हरिश्चंद्र
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अधर उधर मिरी आँखें तुझे पुकारती हैं
मिरी निगाह नहीं है ज़बान है गोया
बिस्मिल सईदी
रह गए लाखों कलेजा थाम कर
आँख जिस जानिब तुम्हारी उठ गई
दाग़ देहलवी
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होते हैं राज़-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत इसी से फ़ाश
आँखें ज़बाँ नहीं है अगर बे-ज़बाँ नहीं
फ़ानी बदायुनी
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