मुझे तावीज़ लिख दो ख़ून-ए-आहू से कि ऐ स्यानो
तग़ाफ़ुल टोटका है और जादू है नज़र उस की
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
नज़र में बंद करे है तू एक आलम को
फ़ुसूँ है सेहर है जादू है क्या है आँखों में
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
बुज़-दिली होगी चराग़ों को दिखाना आँखें
अब्र छट जाए तो सूरज से मिलाना आँखें
would be cowardice to stare down at the flame
let the clouds disperse then look upon the sun
शकील बदायुनी
कभी ज़ियादा कभी कम रहा है आँखों में
लहू का सिलसिला पैहम रहा है आँखों में
शाज़ तमकनत
दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो
सूफ़ी तबस्सुम