EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

तिरी आन पे ग़श हूँ हर आन ज़ालिम
तू इक आन लेकिन न याँ आन निकला

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी




तो भी उस तक है रसाई मुझे एहसाँ दुश्वार
दाम लूँ गर पर-ए-जिब्रील बरा-ए-पर्वाज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी




उल्फ़त में तेरा रोना 'एहसाँ' बहुत बजा है
हर वक़्त मेंह का होना ये रहमत-ए-ख़ुदा है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी




उस लब-ए-बाम से ऐ सरसर-ए-फुर्क़त तू बता
मिस्ल तिनके के मिरा ये तन-ए-लाग़र फेंका

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी




वो आग लगी पान चबाए से कसू की
अब तक नहीं बुझती है बुझाए से कसू की

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी




याद तो हक़ की तुझे याद है पर याद रहे
यार दुश्वार है वो याद जो है याद का हक़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी




यारा है कहाँ इतना कि उस यार को यारो
मैं ये कहूँ ऐ यार है तू यार हमारा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी