मुबारक मुबारक नया साल आया
ख़ुशी का समाँ सारी दुनिया पे छाया
अख़्तर शीरानी
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन
आज तक दिल से मिरे याद तुम्हारी न गई
अख़्तर शीरानी
मुझे दोनों जहाँ में एक वो मिल जाएँ गर 'अख़्तर'
तो अपनी हसरतों को बे-नियाज़-ए-दो-जहाँ कर लूँ
अख़्तर शीरानी
मुझे है ए'तिबार-ए-वादा लेकिन
तुम्हें ख़ुद ए'तिबार आए न आए
अख़्तर शीरानी
पलट सी गई है ज़माने की काया
नया साल आया नया साल आया
अख़्तर शीरानी
रात भर उन का तसव्वुर दिल को तड़पाता रहा
एक नक़्शा सामने आता रहा जाता रहा
अख़्तर शीरानी
तमन्नाओं को ज़िंदा आरज़ूओं को जवाँ कर लूँ
ये शर्मीली नज़र कह दे तो कुछ गुस्ताख़ियाँ कर लूँ
अख़्तर शीरानी