'अरीब' देखो न इतराओ चंद शेरों पर
ग़ज़ल वो फ़न है कि 'ग़ालिब' को तुम सलाम करो
सुलैमान अरीब
एक हम्माम में तब्दील हुई है दुनिया
सब ही नंगे हैं किसे देख के शरमाऊँ मैं
सुलैमान अरीब
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
एक हम्माम में तब्दील हुई है दुनिया
सब हुए नंगे किसे देख के शरमाऊँ मैं
सुलैमान अरीब
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
एक हम्माम में तब्दील हुई है दुनिया
सब हुए नंगे किसे देख के शरमाऊँ मैं
सुलैमान अरीब
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
इक ख़ौफ़-ए-बे-पनाह है आँखों के आर-पार
तारीकियों में डूबता लम्हा है सामने
सुलेमान ख़ुमार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मैं वाक़िफ़ हूँ तिरी चुप-गोइयों से
समझ लेता हूँ तेरी अन-कही भी
सुलेमान ख़ुमार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
मैं वाक़िफ़ हूँ तिरी चुप-गोइयों से
समझ लेता हूँ तेरी अन-कही भी
सुलेमान ख़ुमार
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |