बिछड़े हुओं के आज फिर ख़त कुछ ऐसे आए
जैसे पटरी रेल की दूर पे इक हो जाए
शम्स फ़र्रुख़ाबादी
एक बगूला साँस का हवा जिसे तैराए
हवा हवा में जा मिले बस माटी रह जाए
शम्स फ़र्रुख़ाबादी
बे-ज़बाँ भी तो बता देता है मंज़िल का पता
तय कराता है सफ़र मील का पत्थर ख़ामोश
शम्स रम्ज़ी
बे-ज़बाँ भी तो बता देता है मंज़िल का पता
तय कराता है सफ़र मील का पत्थर ख़ामोश
शम्स रम्ज़ी
डूबता हुआ सूरज दे गया सज़ा ऐसी
खो गई अँधेरों में रौशनी की ख़ुश-फ़हमी
शम्स रम्ज़ी
फ़ज़ा में उड़ते परिंदे की ख़ैर हो यारब
कि उस का तैर बड़ा है मगर कमान है तंग
शम्स रम्ज़ी
फ़ज़ा में उड़ते परिंदे की ख़ैर हो यारब
कि उस का तैर बड़ा है मगर कमान है तंग
शम्स रम्ज़ी