तुम्हारे बा'द बड़ा फ़र्क़ आ गया हम में
तुम्हारे बा'द किसी पे ख़फ़ा नहीं हुए हम
शकील जमाली
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उम्र का एक और साल गया
वक़्त फिर हम पे ख़ाक डाल गया
शकील जमाली
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ज़िंदगी ऐसे भी हालात बना देती है
लोग साँसों का कफ़न ओढ़ के मर जाते हैं
शकील जमाली
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ज़िंदगी ऐसे भी हालात बना देती है
लोग साँसों का कफ़न ओढ़ के मर जाते हैं
शकील जमाली
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क़सम ही नहीं है फ़क़त इस का शेवा
तग़ाफ़ुल भी है एक अंदाज़ उस का
शाकिर कलकत्तवी
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रोने के बदले अपनी तबाही पे हँस दिया
'शाकिर' ने इस तरह गिला-ए-आसमाँ किया
शाकिर कलकत्तवी
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रोने के बदले अपनी तबाही पे हँस दिया
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शाकिर कलकत्तवी
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