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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

इक बीमार वसीयत करने वाला है
रिश्ते नाते जीभ निकाले बैठे हैं

शकील जमाली




इक बीमार वसिय्यत करने वाला है
रिश्ते-नाते जीभ निकाले बैठे हैं

शकील जमाली




इक बीमार वसिय्यत करने वाला है
रिश्ते-नाते जीभ निकाले बैठे हैं

शकील जमाली




झूट में शक की कम गुंजाइश हो सकती है
सच को जब चाहो झुठलाया जा सकता है

शकील जमाली




किन ज़मीनों पे उतारोगे इमदाद का क़हर
कौन सा शहर उजाड़ोगे बसाने के लिए

शकील जमाली




किन ज़मीनों पे उतारोगे इमदाद का क़हर
कौन सा शहर उजाड़ोगे बसाने के लिए

शकील जमाली




कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है

शकील जमाली