यार होते तो मुझे मुँह पे बुरा कह देते
बज़्म में मेरा गिला सब ने किया मेरे बाद
शहज़ाद अहमद
ये अलग बात ज़बाँ साथ न दे पाएगी
दिल का जो हाल है कहना तो पड़ेगा तुझ से
शहज़ाद अहमद
ये और बात इसे ज़िंदगी न कह पाएँ
वगरना आज भी हम जी रहे हैं जीने को
शहज़ाद अहमद
ये और बात इसे ज़िंदगी न कह पाएँ
वगरना आज भी हम जी रहे हैं जीने को
शहज़ाद अहमद
ये भी सच है कि नहीं है कोई रिश्ता तुझ से
जितनी उम्मीदें हैं वाबस्ता हैं तन्हा तुझ से
शहज़ाद अहमद
ये चाँद ही तिरी झोली में आ पड़े शायद
ज़मीं पे बैठ कमंद आसमाँ पे डाले जा
शहज़ाद अहमद
ये चाँद ही तिरी झोली में आ पड़े शायद
ज़मीं पे बैठ कमंद आसमाँ पे डाले जा
शहज़ाद अहमद