उदास छोड़ गए कश्तियों को साहिल पर
गिला करें भी तो क्या पार उतरने वालों से
शहज़ाद अहमद
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उम्र भर अपने गिरेबाँ से उलझने वाले
तू मुझे मेरे ही साए से डराता क्या है
शहज़ाद अहमद
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उम्र भर सुनता रहूँ अपनी सदा की बाज़गश्त
या तिरी आवाज़ भी आएगी मेरे कान में
शहज़ाद अहमद
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उम्र भर सुनता रहूँ अपनी सदा की बाज़गश्त
या तिरी आवाज़ भी आएगी मेरे कान में
शहज़ाद अहमद
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उम्र जितनी भी कटी उस के भरोसे पे कटी
और अब सोचता हूँ उस का भरोसा क्या था
शहज़ाद अहमद
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उस को ख़बर हुई तो बदल जाएगा वो रंग
एहसास तक न उस को दिला और देख ले
शहज़ाद अहमद
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उस को ख़बर हुई तो बदल जाएगा वो रंग
एहसास तक न उस को दिला और देख ले
शहज़ाद अहमद
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