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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

उदास छोड़ गए कश्तियों को साहिल पर
गिला करें भी तो क्या पार उतरने वालों से

शहज़ाद अहमद




उम्र भर अपने गिरेबाँ से उलझने वाले
तू मुझे मेरे ही साए से डराता क्या है

शहज़ाद अहमद




उम्र भर सुनता रहूँ अपनी सदा की बाज़गश्त
या तिरी आवाज़ भी आएगी मेरे कान में

शहज़ाद अहमद




उम्र भर सुनता रहूँ अपनी सदा की बाज़गश्त
या तिरी आवाज़ भी आएगी मेरे कान में

शहज़ाद अहमद




उम्र जितनी भी कटी उस के भरोसे पे कटी
और अब सोचता हूँ उस का भरोसा क्या था

शहज़ाद अहमद




उस को ख़बर हुई तो बदल जाएगा वो रंग
एहसास तक न उस को दिला और देख ले

शहज़ाद अहमद




उस को ख़बर हुई तो बदल जाएगा वो रंग
एहसास तक न उस को दिला और देख ले

शहज़ाद अहमद