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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

हम अपने हाल पर ख़ुद रो दिए हैं
कभी ऐसी भी हालत हो गई है

शहज़ाद अहमद




हम अपने हाल पर ख़ुद रो दिए हैं
कभी ऐसी भी हालत हो गई है

शहज़ाद अहमद




हम दो क़दम भी चल न सके ख़ाक-ए-पा हुए
जो क़ाफ़िले के साथ गए जाने क्या हुए

शहज़ाद अहमद




हम जो दस्तक कभी देते थे सबा की मानिंद
आप दरवाज़ा-ए-दिल खोल दिया करते थे

शहज़ाद अहमद




हम जो दस्तक कभी देते थे सबा की मानिंद
आप दरवाज़ा-ए-दिल खोल दिया करते थे

शहज़ाद अहमद




हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं
ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे

शहज़ाद अहमद




हमारे शहर में है वो गुरेज़ का आलम
चराग़ भी न जलाए चराग़ से कोई

शहज़ाद अहमद