तुझे इस गाँव से जाना है इक दिन
हवेली क्यूँ बनाना चाहता है
शाहिद ग़ाज़ी
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ज़लज़ले का था सफ़र जिस में की मस्ती हम ने
ख़ुश्क चट्टानों पे दौड़ा दी है कश्ती हम ने
शाहिद जमील
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आप के दम से तो दुनिया का भरम है क़ाएम
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है
शाहिद कबीर
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आप के दम से तो दुनिया का भरम है क़ाएम
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है
शाहिद कबीर
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बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है
हम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
शाहिद कबीर
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ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी
ये नज़राना तेरा भी है मेरा भी
शाहिद कबीर
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ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी
ये नज़राना तेरा भी है मेरा भी
शाहिद कबीर
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