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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

बरहमन कहता था बरहम शैख़ बोल उठा अहद
हर्फ़ के इक फेर से दोनों में झगड़ा हो गया

सीमाब अकबराबादी




बरहमन कहता था बरहम शैख़ बोल उठा अहद
हर्फ़ के इक फेर से दोनों में झगड़ा हो गया

सीमाब अकबराबादी




बुत करें आरज़ू ख़ुदाई की
शान तेरी है किबरियाई की

सीमाब अकबराबादी




देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊँगा
देखती की देखती रह जाएगी दुनिया मुझे

सीमाब अकबराबादी




देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊँगा
देखती की देखती रह जाएगी दुनिया मुझे

सीमाब अकबराबादी




देखते रहते हैं छुप-छुप के मुरक़्क़ा तेरा
कभी आती है हवा भी तो छुपा लेते हैं

सीमाब अकबराबादी




दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में
इक आईना था टूट गया देख-भाल में

सीमाब अकबराबादी