दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में
इक आईना था टूट गया देख-भाल में
सीमाब अकबराबादी
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दिल-ए-आफ़त-ज़दा का मुद्दआ क्या
शिकस्ता साज़ क्या उस की सदा क्या
सीमाब अकबराबादी
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दुनिया है ख़्वाब हासिल-ए-दुनिया ख़याल है
इंसान ख़्वाब देख रहा है ख़याल में
सीमाब अकबराबादी
दुनिया है ख़्वाब हासिल-ए-दुनिया ख़याल है
इंसान ख़्वाब देख रहा है ख़याल में
सीमाब अकबराबादी
गुनाहों पर वही इंसान को मजबूर करती है
जो इक बे-नाम सी फ़ानी सी लज़्ज़त है गुनाहों में
सीमाब अकबराबादी
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हाए 'सीमाब' उस की मजबूरी
जिस ने की हो शबाब में तौबा
सीमाब अकबराबादी
हाए 'सीमाब' उस की मजबूरी
जिस ने की हो शबाब में तौबा
सीमाब अकबराबादी