किसी की शख़्सियत मजरूह कर दी
ज़माने भर में शोहरत हो रही है
अहमद अशफ़ाक़
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लगता है कि इस दिल में कोई क़ैद है 'अश्फ़ाक़'
रोने की सदा आती है यादों के खंडर से
अहमद अशफ़ाक़
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मेरी कम-गोई पे जो तंज़ किया करते हैं
मेरी कम-गोई के अस्बाब से ना-वाक़िफ़ हैं
अहमद अशफ़ाक़
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तर्क-ए-उल्फ़त के ब'अद भी 'अश्फ़ाक़'
तेरा रहता है इंतिज़ार मुझे
अहमद अशफ़ाक़
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ये अलग बात कि तज्दीद-ए-तअल्लुक़ न हुआ
पर उसे भूलना चाहूँ तो ज़माने लग जाएँ
अहमद अशफ़ाक़
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आज देखा है उसे ऐसी मोहब्बत से 'अता'
वो यही भूल गया उस को कहीं जाना था
अहमद अता
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अब यहाँ कौन निकालेगा भला दूध की नहर
इश्क़ करता है तू जैसा भी है अच्छा है मियाँ
अहमद अता
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