दीवारों में दर होता तो अच्छा था
अपना कोई घर होता तो अच्छा था
अफ़ज़ाल फ़िरदौस
इस तरह सताया है परेशान किया है
गोया कि मोहब्बत नहीं एहसान किया है
अफ़ज़ाल फ़िरदौस
जिस को मेरी हालत का एहसास नहीं
उस को दिल का हाल सुना कर रोना क्या
अफ़ज़ाल फ़िरदौस
किसी ने मुझ से कह दिया था ज़िंदगी पे ग़ौर कर
मैं शाख़ पर खिला हुआ गुलाब देखता रहा
अफ़ज़ाल फ़िरदौस
मुश्किल था बहुत मेरे लिए तर्क-ए-तअल्लुक़
ये काम भी तुम ने मिरा आसान किया है
अफ़ज़ाल फ़िरदौस
रंग आ जाते मुट्ठी में जुगनू बन कर
ख़ुशबू का पैकर होता तो अच्छा था
अफ़ज़ाल फ़िरदौस
अता उसी की है ये शहद ओ शोर की तौफ़ीक़
वही गलीम में ये नान-ए-बे-जवीं लाया
अफ़ज़ाल अहमद सय्यद