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दीवारों में दर होता तो अच्छा था | शाही शायरी
diwaron mein dar hota to achchha tha

ग़ज़ल

दीवारों में दर होता तो अच्छा था

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

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दीवारों में दर होता तो अच्छा था
अपना कोई घर होता तो अच्छा था

उस का रंगीं आँचल ओढ़ के सो जाते
और ऐसा अक्सर होता तो अच्छा था

रंग आ जाते मुट्ठी में जुगनू बन कर
ख़ुशबू का पैकर होता तो अच्छा था

बादल पर्बत झरने पेड़ परिंदे चुप
वो भी साथ अगर होता तो अच्छा था

क्यूँ आवारा फिरते सूनी गलियों में
कोई अगर घर पर होता तो अच्छा था