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मीर मोहम्मदी बेदार शायरी | शाही शायरी

मीर मोहम्मदी बेदार शेर

43 शेर

गर किसी ग़ैर को फ़रमाओगे तब जानोगे
वे हमीं हैं कि बजा लावें जो इरशाद करो

मीर मोहम्मदी बेदार




आह क़ासिद तो अब तलक न फिरा
दिल धड़कता है क्या हुआ होगा

मीर मोहम्मदी बेदार




'बेदार' राह-ए-इश्क़ किसी से न तय हुई
सहरा में क़ैस कोह में फ़रहाद रह गया

मीर मोहम्मदी बेदार




बाप का है फ़ख़्र वो बेटा कि रखता हो कमाल
देख आईने को फ़रज़ंद-ए-रशीद-ए-संग है

मीर मोहम्मदी बेदार




अयाँ है शक्ल तिरी यूँ हमारे सीना से
कि जूँ शराब नुमायाँ हो आबगीना से

मीर मोहम्मदी बेदार




अपने ऊपर तू रहम कर ज़ालिम
देख मत बार बार आईना

मीर मोहम्मदी बेदार




अजब की साहिरी उस मन-हरन की चश्म-ए-फ़त्ताँ ने
दिया काजल सियाही ले के आँखों से ग़ज़ालाँ की

मीर मोहम्मदी बेदार




अगर चली है तो चल यूँ कि पात भी न हिले
ख़लल न लाए सबा तू फ़राग़ में गुल के

मीर मोहम्मदी बेदार




अबस मल मल के धोता है तू अपने दस्त-ए-नाज़ुक को
नहीं जाने की सुर्ख़ी हाथ से ख़ून-ए-शहीदाँ की

मीर मोहम्मदी बेदार