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उस सितमगर से जो मिला होगा | शाही शायरी
us sitamgar se jo mila hoga

ग़ज़ल

उस सितमगर से जो मिला होगा

मीर मोहम्मदी बेदार

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उस सितमगर से जो मिला होगा
जान से हाथ धो चुका होगा

इश्क़ में तेरे हम जो कुछ देखा
न किसी ने कभी सुना होगा

आह क़ासिद तू अब तलक न फिरा
दिल धड़कता है क्या हुआ होगा

तू ही आँखों में तू ही है दिल में
कौन याँ और तुझ सिवा होगा

ऐ मियाँ गुल तो खिल चुके प कभू
ग़ुंचा-ए-दिल मिरा भी वा होगा

देख तू फ़ाल में कि वो मुझ से
न मिलेगा मिलेगा क्या होगा

है यक़ीं मुझ को तुझ सितमगर से
दिल किसी का अगर लगा होगा

नाला-ओ-आह करते ही करते
एक दिन यूँ ही मर गया होगा

कोई होगा कि देख उसे 'बेदार'
दिल ओ दीं ले के तुज रहा होगा