क्या ही रह रह के तबीअ'त मिरी घबराती है
मौत आती है शब-ए-हिज्र न नींद आती है
अकबर इलाहाबादी
क्या पूछते हो 'अकबर'-ए-शोरीदा-सर का हाल
ख़ुफ़िया पुलिस से पूछ रहा है कमर का हाल
अकबर इलाहाबादी
क्या वो ख़्वाहिश कि जिसे दिल भी समझता हो हक़ीर
आरज़ू वो है जो सीने में रहे नाज़ के साथ
अकबर इलाहाबादी
लगावट की अदा से उन का कहना पान हाज़िर है
क़यामत है सितम है दिल फ़िदा है जान हाज़िर है
अकबर इलाहाबादी
लीडरों की धूम है और फॉलोवर कोई नहीं
सब तो जेनरेल हैं यहाँ आख़िर सिपाही कौन है
अकबर इलाहाबादी
लिपट भी जा न रुक 'अकबर' ग़ज़ब की ब्यूटी है
नहीं नहीं पे न जा ये हया की ड्यूटी है
अकबर इलाहाबादी
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को
मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
अकबर इलाहाबादी
लोग कहते हैं कि बद-नामी से बचना चाहिए
कह दो बे इस के जवानी का मज़ा मिलता नहीं
अकबर इलाहाबादी
मय भी होटल में पियो चंदा भी दो मस्जिद में
शैख़ भी ख़ुश रहें शैतान भी बे-ज़ार न हो
अकबर इलाहाबादी