जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
laughing, she inquired when, I said "I love you"
is there anything else at all that you know to do
अकबर इलाहाबादी
जो वक़्त-ए-ख़त्ना मैं चीख़ा तो नाई ने कहा हँस कर
मुसलमानी में ताक़त ख़ून ही बहने से आती है
अकबर इलाहाबादी
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो
neither bow and arrow nor a sword do you require
pubish a newspaper when faced with cannon fire
अकबर इलाहाबादी
ख़िलाफ़-ए-शरअ कभी शैख़ थूकता भी नहीं
मगर अंधेरे उजाले में चूकता भी नहीं
अकबर इलाहाबादी
ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ 'अकबर'
यही वो दर है कि ज़िल्लत नहीं सवाल के बा'द
अकबर इलाहाबादी
किस नाज़ से कहते हैं वो झुँझला के शब-ए-वस्ल
तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते
अकबर इलाहाबादी
कुछ इलाहाबाद में सामाँ नहीं बहबूद के
याँ धरा क्या है ब-जुज़ अकबर के और अमरूद के
अकबर इलाहाबादी
कुछ नहीं कार-ए-फ़लक हादसा-पाशी के सिवा
फ़ल्सफ़ा कुछ नहीं अल्फ़ाज़-तराशी के सिवा
अकबर इलाहाबादी
कुछ तर्ज़-ए-सितम भी है कुछ अंदाज़-ए-वफ़ा भी
खुलता नहीं हाल उन की तबीअत का ज़रा भी
अकबर इलाहाबादी